मित्र एक है मित्र नेक है, मित्र ही देव स्वररूप,
मित्र सखा मित्र बन्धु, है मित्र के नाना रूप..।।
मातृ-पिता सब मित्र हैं, चरहूं ओर मित्रता लीन, ,
हमरे मित्र जो आप हैं, है सब गुण कुशल प्रवीण..।।
मित्र है दानी कर्ण भर, मित्र ही सबसे चोर,
मित्र ही करके कल्पना, मित्र मचाते शोर..।।
मित्र बिना ये जिन्दगी, ज्यो चखना बिने जाम,
मित्रो का है शुक्रिया, जो बिगड़े बनाते काम..।।
मातु -पिता के सामने, लबलब भरी है लाज,
घर के बाहर मित्र है, बढ़के सुट्टा बाज..।।
रिश्तेदार के सामने रहते है खामोश,
चाय की टपरी पर देख लो इनके गाली गलौज..।।
कैसे भी हो मित्र पर बनते, हर गोली की ढाल,
मित्र ही रखते गृह इतर, रखे मम्मा जैसा ख्याल..।।
Written By :- Nitin Manav