जानिए क्या है डिजिटल अरेस्ट और हम इसे कैसे बच सकते हैं....??

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 क्या आप जानते हैं कि देश में “डिजिटल कस्टडी” की वारदात बहुत तेजी से बढ़ रही हैं। इसलिए, आज  अपने इस आर्टिकल के माध्यम से समझाने कि कोशिश करेगा कि डिजिटल अरेस्ट क्या है एवं इसका शिकार होने पर हमें क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।


दोस्तों अक्सर आप लोगों को समाचार पत्रों या सोशल मीडिया के माध्यम से ऐसी खबरें देखने को मिल गयी होगी कि साइबर अपराधियों ने किसी को डिजिटल अरेस्ट करके लाखों करोड़ों लूट लिए। अब ऐसे में कई लोगों के दिमाग में यह सवाल आता है कि गिरफ्तारी तो सुनी थी जो पुलिस करती थी लेकिन ये डिजिटल अरेस्ट क्या है जिसमें लोग अपने पैसे गंवा बैठते हैं। आज हम इस आर्टिकल में समझेंगे कि डिजिटल अरेस्ट क्या है और उससे बचने के क्या उपाय हैं।


• क्या है डिजिटल अरेस्ट,

डिजिटल अरेस्ट में साइबर ठग द्वारा पीड़ित को फोन कर बताया जाता है कि उनका नाम कोई शिकायत दर्ज हुई है। झूठे मामले को लेकर पीड़ित को पहले काफी डराया जाता है, जिससे वह घबरा जाता है। इसके बाद उन्हें घर से बाहर निकलने से मना कर दिया जाता है। साथ ही दूसरी तरफ फोन कॉल करके पीड़ितों को मदद देने का आश्वासन दिया जाता है। मदद मानकर पीड़ित ठगों की कही हुई हर बात को फालो करता है। ठग पीड़ितों को एक एप डाउनलोड करने को कहते हैं। लगातार उस एप के जरिये पीड़ित से जुड़े रहते हैं। फिर कुछ देर बाद वह केस को रफा-दफा करने के लिए पीड़ित से कुछ पैसे मांगते हैं। पीड़ित को इतना डरा दिया जाता है कि वह अपने स्वजन और करीबियों से भी इस तरह की बातें बताने में घबराने लगता है।


• डिजिटल अरेस्ट का शिकार होने पर क्या करें,

अगर कोई आपको पुलिस या सीबीआइ अधिकारी बनकर डिजिटल तौर पर गिरफ्तार करने की धमकी देता है, तो सबसे पहले आप उपरोक्त व्यक्ति के साथ अपनी कोई भी व्यक्तिगत जानकारी जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, अपने परिवारजनों एवं मित्रों का फोन नंबर, अपना बैंक अकाउंट, एटीएम या क्रेडिट कार्ड नंबर व पिन एवं कोई भी OTP शेयर न करें। साथ ही अपने परिवार के सदस्यों या दोस्तों को इसके बारे में सूचित करना चाहिए। साथ ही तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर इसकी शिकायत करानी चाहिए, इस बात से नहीं डरना चाहिए कि पुलिस आपके खिलाफ कोई एक्शन लेगी।

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