संविदा भंग// पालन के दौरान संविदा भंग//Anticipatoryreach of Contract //Breach of Contract during performanc

0

 प्रश्न 11 (ब) - पूर्वानुमानिक संविदा भंग या समय पूर्व संविदा भंग से आप क्या समझते हैं? समय पूर्व संविदा भंग हो जाने की स्थिति में दोनों पक्षों के अधिकारों एवं दायित्वों की विवेचना कीजिए।



What do you understand by Anticipatory breach of contract? Discuss the rights and liabilities of both the parties if anticipatory breach of contract has occurred.



उत्तर - संविदा भंग. -संविदा भंग दो प्रकार का होता है-


1. संविदा भंग, तथा 2. पालन के दौरान संविदा भंग।


1. पूर्वानुमानिक संविदा भंग (Anticipatory Breach of Contract ) - पूर्वानुमानिक संविदा भंग का प्रश्न तब उठता है जबकि संविदा पालन के समय के पूर्व कोई पक्षकार संविदा भंग कर देता है। इस सम्बन्ध में होचेस्टर बनाम डि० ला टौर, (1853) 2 ई० एण्ड बी० 678 का वाद उल्लेखनीय है। इस बाद में वादी को प्रतिवादी ने एक कर्मचारी के रूप में नियोजित किया तथा नियोजन से पूर्व ही उसके नियोजन की समाप्ति को सूचना दे दी। वादी ने वाद दायर किया, न्यायालय ने निर्णय दिया कि वादी पालन के समय के पूर्व ही वह वाद प्रस्तुत करने का अधिकारी था।


संविदा अधिनियम की धारा 39 में पूर्वानुमानिक संविदा भंग के सिद्धान्त को अपनाया गया है जिसमें कहा गया है कि जबकि संविदा में के एक पक्षकार ने अपनी पूरी प्रतिज्ञा का पालन करने से इन्कार कर दिया है या ऐसा पालन करने के लिए अपने को निर्योग्य बना लिया हैं तब प्रतिज्ञाग्रहीता संविदा का अन्त कर सकेगा, यदि उसने उसको चालू रखने के लिए शब्दों द्वारा या आचरण द्वारा उपमति संज्ञापित न कर दी हो।


दृष्टान्त-क, जो गायिका है एक नाटक के प्रबन्धक ख से अगले दो महीनों के दौरान प्रत्येक सप्ताह में दो रात उसके नाटक में गाने की संविदा करती है और ख उससे प्रत्येक रात के गायन के लिए 100 रुपये देना तय करता है। छठी रात को क नाटक से कामतः अनुपस्थित रहती है। ख, संविदा का अन्त करने के लिए स्वतंत्र है।


2. पालन के दौरान संविदा भंग (Breach of Contract during performance)— यदि संविदा के पालन के दौरान कोई पक्षकार संविदा के पालन से इनकार कर देता है तो दूसरा पक्षकार अपने द्वारा संविदा के पालन में अभिक्षम्य हो जाता है तथा भंग के लिए वाद करने का अधिकारी हो जाता है। 

फ्रास्ट बनाम नाइट, 41 एल० जे० एक्स० 78 के मामले में स्पष्ट किया गया है कि यदि प्रतिज्ञाकर्ता संविदा भंग करने की इच्छा प्रकट करता है तो प्रतिज्ञाकर्ता को यह विकल्प प्राप्त होता है कि वह उस पर ध्यान न दे तथा उस समय की प्रतीक्षा करे जबकि संविदा का पालन होता है तथा दूसरे पक्षकार को संविदा का पालन न करने के लिए उत्तरदायी ठहराये। एक पक्षकार द्वारा संविदा उल्लंघन या संविदा स्वतः उन्मोचित नहीं होती है। दूसरे को यह अधिकार होता है कि वह उसे जीवित माने या यह माने कि उसका उन्मोचन हो गया है।


जब वह यह मान लेता है कि संविदा का उन्मोचन हो गया है तब संविदा उन्मोचित हो


जाती है।


पूर्वानुमानिक भंग के बाद पक्षकार को प्राप्त अधिकार (Right of the party if anticipatory breach has occurred ) - धारा 39 के अनुसार जब किसी संविदा का कोई पक्षकार अपने वचन का पूर्णतः पालन करने से इन्कार कर देता है तो वचनग्रहीता संविदा समाप्त करने का अधिकारी हो जाता है।


उदाहरण (Illustrations)


(1) 'अ' जो एक गायिका है, एक नाटक के प्रबन्धक 'ब' से अगले दो महीने के दौरान प्रत्येक सप्ताह में दो रात उसके नाटक में गाने की संविदा करती है और 'ब' उसे प्रत्येक रात के गाने के लिए 100 रुपये देना तय करता है। छठीं रात को 'अ' नाटक से स्वेच्छया (wilfully) अनुपस्थित रहती है। 'ब' संविदा का अन्त करने के लिए स्वतंत्र है।


(2) 'अ' जो एक गायिका है एक नाटक के प्रबन्धक 'ब' से अगले दो सप्ताह के दौरान प्रत्येक सप्ताह में दो रात उसके नाटक में गाने की संविदा करती है और 'ब' उसे प्रत्येक रात के लिए 100 रुपये की दर से मजदूरी देना तय करता है। छठीं रात को 'अ' स्वेच्छा से अनुपस्थित रहती है। 'अ' 'ब' की अनुमति से सातवीं रात को गाती है। 'ब' ने संविदा चालू रखने में अपनी उपमति संज्ञापित कर दी है और तब वह उसका अन्त नहीं कर सकता। किन्तु वह छठीं रात को गाने में 'अ' की विफलता से उठाये गये नुकसान के लिए हर्जाने का हकदार हैं।


यदि कोई वचनकर्ता अपने कृत्य द्वारा अपने को प्रतिज्ञा के पालन के अयोग्य बना लेता है या अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करने से इन्कार कर देता है तो दूसरे पक्षकार को अधिकार है कि वह संविदा को समाप्त मान ले तथा हर्जाने के लिये वाद दायर कर दे। उसे नियत समय तक प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है।


महाराष्ट्र राज्य बनाम दिगम्बर बलवन्त कुलकर्णी, ए० आई० आर० 1989 एस० सी० 1339 के मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि यदि निर्माण की संविदा में समय संविदा का सार उल्लिखित हैं तथा संविदा निर्माण पूरा होने तक या उसे छोड़ देने तक ही प्रवर्तनीय है तथा यदि संविदा का एक पक्षकार उचित प्रकार से संविदा का विखण्डन करता है तथा इसके परिणामस्वरूप संविदा के निबन्धनों के अनुरूप जमानत जब्त कर लेता है तो वह वैध होगा।

Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)

 


 


To Top