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 अभिकर्ता के प्रकार


(Kinds of Agent )


1. विशिष्ट अभिकर्ता (Special agent) - ऐसा एजेन्ट जिसे विशेष कार्य को करने के लिए प्राधिकार दिया गया है या किन्हीं विशिष्ट व्यक्तियों से संव्यवहार करने के लिए ही अधि कृत किया गया है।


2. सामान्य अभिकर्ता (General agent ) - ऐसा एजेन्ट जिसे निश्चित सीमा या क्षेत्र के अन्तर्गत कार्य करने के लिए अधिकृत किया गया है।


3. सार्वभौमिक अभिकर्ता ( Universal agent )- इसका तात्पर्य ऐसे एजेन्ट से है जो अपने मालिक की ओर से कोई भी ऐसा कार्य करने के लिए प्राधिकृत है जो अवैध या विध विरुद्ध नहीं है।


4. आढ़तिया (Factor)- ऐसा एजेन्ट जिसे बिक्री के लिए माल का कब्जा दे दिया


जाता है।


5. दलाल (Broker)- ऐसा वाणिज्यिक अभिकर्ता जिसे मालिक द्वारा अपनी सम्पति या माल बेचने के लिए नियोजित तो किया जाता है परन्तु उसे माल का कब्जा नहीं दिया जाता है। 6. प्रत्यायक अभिकर्ता (Del Credere Agent) - यह भी ऐसा वाणिज्यिक अभिकर्ता


है जो मालिक को यह गारन्टी भी देता है कि पर व्यक्ति संविदा भंग करे तो उसके लिए वह स्वयं दायी होगा। मालिक इस गारन्टी के बदले उसे कुछ अतिरिक्त कमीशन भी देता है। 7. नीलामकर्ता (Auctioneer) - ऐसा अभिकर्ता जिसे सार्वजनिक नीलाम द्वारा माल का विक्रय करने के लिए नियोजित किया जाता है।


उपाभिकर्ता (उप-एजेन्ट )


(Sub-Agent)


धारा 190-193 - विधि का सामान्य नियम है कि 'प्रत्यायोजित शक्तियाँ पुनः प्रत्यायोजितनहीं की जा सकती हैं' (Deligated powers can not be deligated again) इसे (Deligats-non-protest delegari) डेलिगेट्स नॉन प्रोटेस्ट डेलिगारी कहते हैं। इस आधार पर एक एजेन्ट मालिक से मिले अपने प्राधिकार ( Authority) को किसी अन्य व्यक्ति को एजेन्ट के रूप में नियोजित कर नहीं दे सकता है। लेकिन धारा 190 के अन्तर्गत वह कुछ परिस्थितियों में ऐसा कर सकता है। इस धारा के प्रावधान इस प्रकार हैं-


"कोई अभिकर्ता उन कार्यों के पालन के लिए, जिनका स्वयं अपने द्वारा पालन किये जाने का भार उसने अभिव्यक्त या विवक्षित रूप से लिया हो, किसी अन्य व्यक्ति का विधिपूर्वक नियोजन तब के सिवाय नहीं कर सकेगा जबकि उपाभिकर्त्ता का नियोजन व्यापार की मामूली रूढ़ियों के अनुसार किया जा सकता हो या अभिकरण के अनुसार करना आवश्यक हो । "


An agent can not lawful employ another to perform acts which he has expressly impliedly undertaken to perform personally, unless by the ordinary custom of trade a sub-agent may, or, from the nature of the agency, a sub-agent must, be employed.


इस प्रकार उपाभिकर्ता को दो अवस्थाओं में अभिकर्ता द्वारा नियोजित किया जा सकता है- (i) जहाँ व्यापार की मामूली रूढ़ियाँ ऐसे नियोजन को अनुज्ञान (allow) करती हो, (ii) जहाँ अभिकरण की प्रकृति के अनुसार ऐसा किया जाना आवश्यक हो। या


उपाभिकर्ता की परिभाषा ( Definition of Sub-agent)- धारा 191 में उपाभिकर्ता को निम्न शब्दों में परिभाषित किया गया है- 'उपाभिकर्ता' वह व्यक्ति है जो एजेन्सी के कारोबार में मूल अभिकर्ता द्वारा नियोजित हो


और उसके नियंत्रण के अधीन कार्य करता हो।


A 'Sub-Agent' is a person employed by, and acting under the control of, the original agent in the business of the agency. इस प्रकार उपाभिकर्ता से तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है जो-


(i) एजेन्सी के कारोबार में मूल अभिकर्ता द्वारा नियोजित किया गया हो, एवं (ii) वह मूल अभिकर्ता के नियंत्रण के अधीन कार्य करता हो।


मालिक, मूल अभिकर्ता व उपाभिकर्ता के मध्य पारस्परिक सम्बन्ध (Mutual Relations between Principal, Original Agent and Sub-agent)


इन तीनों के पारस्परिक सम्बन्धों को धारा 192 व 193 के आधार पर समझा जा सकता है-


धारा 192 के अनुसार-


(i) यदि उपाभिकर्ता (Sub- Agent) उचित तौर (Properly) पर नियोजित ( Employ ) किया गया है जो वह पर व्यक्तियों (Third person) के साथ मालिक का प्रतिनिधित्व करता है। अतः मालिक उसके कार्यों के प्रति वैसे ही आवद्ध (Bind) और (उत्तरदायी (Responsible) होता है मानो वह मालिक द्वारा ही नियोजित किया गया हो।


(ii) मूल अभिकर्ता अपने द्वारा नियुक्त अभिकर्ता के कार्यों के लिए मालिक के प्रति उत्तरदायी होता है।

(iii) उपाभिकर्ता अपने कार्यों के लिए मूल अभिकर्ता के कार्यों के प्रति उत्तरदायी होता है। इस प्रकार उप-एजेन्ट के लिए मूल एजेन्ट मालिक होता है। क्योंकि उप - एजेन्ट मूल एजेन्ट के नियंत्रण में कार्य करता है, कारण कि उप एजेन्ट की नियुक्ति मूल एजेन्ट द्वारा की जाती है।


उप- एजेन्ट की नियुक्ति मूल एजेन्ट करता है मालिक नहीं, अतः मालिक व उप एजेन्ट के मध्य किसी प्रकार के एजेन्सी सम्बन्ध नहीं होते हैं अतः उप-एजेन्ट मालिक पर किसी भी पारिश्रमिक आदि के लिए वाद नहीं चला सकता है लेकिन उप एजेन्ट द्वारा अन्य पक्षकारों से किए गए संविदाओं से मालिक उसी प्रकार उत्तरदायी है जिस प्रकार मूल एजेन्ट द्वारा किये गये संव्यवहारों के लिए मालिक दायी होता है।


मालिक व उप एजेन्ट दोनों ही मूल एजेन्ट के विरुद्ध न्यायालय में वाद चला सकते हैं। धारा 193 के अनुसार जहाँ उपाभिकर्ता (उप-एजेन्ट) की नियुक्ति अप्राधिकृत (Without authority) की गई है, वहाँ-


(i) ऐसा उप-एजेन्ट मालिक का प्रतिनिधित्व नहीं करता है,


(ii) मालिक उसके कार्यों के लिए उत्तरदायी नहीं होता है,


(iii) वह स्वयं मालिक के प्रति उत्तरदायी नहीं होता है। (iv) ऐसे उप- एजेन्ट के कार्यों के लिए मूल एजेन्ट ही मालिक एवं पर व्यक्ति के प्रति उत्तरदायी होता है।


इसी प्रकार धारा 210 के अनुसार यदि किसी मूल एजेन्ट का प्राधिकार समाप्त हो जाता है (अर्थात् एजेन्सी समाप्त हो जाती है) तो मूल एजेन्ट द्वारा नियोजित उप-एजेन्टों के प्राधिकार भी स्वतः समाप्त हो जाते हैं। इस प्रकार उप एजेन्ट का अस्तित्व मूल एजेन्ट के अस्तित्व के साथ बना रहता है तथा उसके साथ ही समाप्त हो जाता है। यदि वह उप-एजेन्ट को उचित रूप से (Properly) नियुक्त करता है।


प्रतिस्थापित अभिकर्ता (स्थानापन्न एजेन्ट ) (Substituted Agent) धारा-194-195


भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 की धारा 194 के अनुसार, जब किसी एजेन्ट को मालिक का कार्य करने के लिए कोई अन्य व्यक्ति चुनने का अभिव्यक्त (Express ) या विवक्षित ( Implied) प्राधिकार हो और इस अधिकार का प्रयोग करते हुए उसने अन्य व्यक्ति चुना है तो ऐसा अन्य व्यक्ति उप एजेन्ट न होकर मालिक द्वारा नियुक्त अभिकर्ता ही होने से स्थानापन्न एजेन्ट है न कि उप एजेन्ट है।


इस धारा में दिए गए दो उदाहरण इस प्रावधान को स्पष्ट करते हैं-


दृष्टान्त (a)- में एक वकील को नीलामकर्ता ने नियुक्ति द्वारा एक सम्पति को बेचने का प्राधिकार दिया । इस उदाहरण में नीलामकर्ता एक उप एजेन्ट न होकर स्थानापन्न एजेन्ट है। दृष्टान्त (b) में जब किसी अभिकर्ता को वकील रखकर ऋण वसूलने का प्राधिकार दिया जाये तो उसके द्वारा नियुक्त किया गया वकील उप-एजेन्ट नहीं वरन् स्थानापन्न होता है।

कोई व्यक्ति एजेन्ट द्वारा नियुक्त किया गया है वह मालिक का प्रतिस्थापित (स्थानापन्न ) एजेन्ट है या उप-एजेन्ट यह निश्चय मालिक व मूल- एजेन्ट के सम्बन्धों व नियुक्ति शर्तों पर निर्भर करता है।


धारा 195 यह निर्देश देती है कि मूल अभिकर्ता को स्थापन्न एजेन्ट नियुक्त करते समय अर्थात् नामित (Nominate) करते समय उतना विवेक काम में लेना चाहिए जितना मामूली प्रज्ञावाला व्यक्ति अपने निजी मामलों में करता है और यदि उसने ऐसे विवेक का प्रयोग कर स्थापन्न एजेन्ट को नामांकित किया है तो वह ऐसे चुने गये स्थानापन्न एजेन्ट के कार्यों के लिए मालिक के प्रति स्वयं उत्तरदायी नहीं होगा।


इस प्रकार इस धारा मे स्थापन्न एजेन्ट नामित करते समय मूल एजेन्ट को कुछ विशेष बातों को ध्यान में रखने के निर्देश दिए गए है।


उदाहरण के लिए A ने अपने एजेन्ट B को एक जलयान / पोत (Ship) खरीदने के लिए आदेश दिया। B ने इस कार्य को करने के लिए एक विख्यात विशेषज्ञ नामित (Nominate ) किया। विशेषज्ञ जलयान खरीदने में लापरवाही बरतता है। इसके परिणामस्वरूप जलयान समुद्र में चलने से अयोग्य प्रमाणित कर दिया जाता है तथा नष्ट हो जाता है। इस हानि के लिए मालिक (A) के प्रति वह विशेषज्ञ उत्तरदायी है, एजेन्ट (B) उत्तरदायी नहीं है। क्योंकि एजेन्ट ने विशेषज्ञ नियुक्त करते समय पूर्ण सावधानी व सतर्कता बरती है।


उपाभिकर्ता व प्रतिस्थापित अभिकर्ता में अंतर


(Difference between Sub-agent and Substituted- agent) (1) उपाभिकर्ता के नियोजन सन्बन्धी प्रावधान धारा 190 से 193 में दिये गये हैं जबकि प्रतिस्थापित अभिकर्ता सम्बन्धी प्रावधान धारा 194 व 195 में हैं।


(2) उपाभिकर्ता मूल- एजेन्ट द्वारा नियोजित (Employed ) किया जाता है जबकि प्रतिस्थापित अभिकर्ता मूल एजेन्ट द्वारा नामित (Nominate) किया जाता है।


(3) उपाभिकर्ता का नियोजन एजेन्सी की प्रकृति या व्यापार की प्रथा (Custom of trade) पर निर्भर करता है अर्थात् स्पष्ट अधिकार नही होने पर भी उप एजेन्ट नियोजित किया जा सकता है जबकि प्रतिस्थापित अभिकर्ता तब ही नामित किया जा सकता है जब मालिक द्वारा एजेन्ट को ऐसा करने का स्पष्ट निर्देश दिया गया हो।


(4) उपाभिकर्ता अपना पारिश्रमिक मूल एजेन्ट से ही प्राप्त कर सकता है, मालिक द्वारा नही, जबकि प्रतिस्थापित अभिकर्ता मूल एजेन्ट का स्थान ग्रहण कर लेता है अतः वह अपना पारिश्रमिक मालिक से ही प्राप्त कर सकता है।


(5) उपाभिकर्ता केवल मूल अभिकर्ता के प्रति उत्तरदायी है वह मालिक के विरूद्ध सीधा वाद नही ल सकता है जबकि प्रतिस्थापित अभिकर्ता मालिक के प्रति उत्तरदायी होता है अतः मालिक उसके विरूद्ध सीधा वाद ला सकता है।


(6) उपाभिकर्ता के कार्यों के लिए मूल एजेन्ट ही मालिक के प्रति उत्तरदायी होता है। जबकि प्रतिस्थापित अभिकर्ता की दशा में मूल एजेन्ट की बजाय वह प्रतिस्थापित एजेन्ट स्वयं मालिक के प्रति उत्तरदायी है।


(7) उपाभिकर्ता के सभी कार्य मूल एजेन्ट के अधीन व नियंत्रण में किये जाते हैं जबकि प्रस्थापित एजेन्ट अपने सभी कार्य मालिक के अधीन व नियंत्रण में ही करता है ।


अभ्यास प्रश्न

अधिकारिता कितने प्रकार के होते हैं उनका उल्लेख कीजिए होते हैं उनका उल्लेख कीजिए

अभी-अभी करता तथा प्रतिस्थापित अभिकर्ता को समझाइए

उप अभिकर्ता तथा प्रतिस्थापित अभिकर्ता म अंतर

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