भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की वह 11 महत्वपूर्ण घटनाएं जिसे हर भारतीय को जानना चाहिए // 11 important events of the Indian freedom struggle that every Indian should know //
1857 का विद्रोह, जिसे भारतीय विद्रोह, प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, भारतीय विद्रोह या सिपाही विद्रोह के रूप में भी जाना जाता है, भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ भारतीय सैनिकों का एक विद्रोह था. यह विद्रोह 10 मई 1857 को मेरठ में शुरू हुआ और जल्द ही पूरे उत्तर भारत में फैल गया. विद्रोहियों ने ब्रिटिश अधिकारियों और सैनिकों को मार डाला और कई शहरों और किलों पर कब्जा कर लिया. हालांकि, ब्रिटिश सेना विद्रोह को कुचलने में सफल रही और विद्रोहियों को पराजित कर दिया. विद्रोह के बाद, ब्रिटिश सरकार ने भारत में अपने शासन को मजबूत किया और कंपनी के शासन को समाप्त कर दिया.
1857 के विद्रोह के कई कारण थे. इनमें शामिल थे:
* ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार, जैसे कि उन्हें कम वेतन देना, उन्हें उच्च पदों पर नियुक्त नहीं करना और उन पर अत्याचार करना.
* ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीय संस्कृति और धर्म का अपमान करना, जैसे कि मंदिरों और मस्जिदों को तोड़ना और भारतीयों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर करना.
* ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों को उनके पारंपरिक अधिकारों से वंचित करना, जैसे कि भूमि के अधिकार और स्वशासन का अधिकार.
* ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों को लगातार युद्धों में लड़ने के लिए मजबूर करना, जो कि बहुत खर्चीला और हानिकारक था.
1857 का विद्रोह भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी. यह विद्रोह ब्रिटिश सरकार को यह बताने का एक मौका था कि भारतीय लोग उनके साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार से खुश नहीं हैं और वे स्वतंत्रता चाहते हैं. विद्रोह के बाद, ब्रिटिश सरकार ने भारत में अपने शासन को मजबूत किया, लेकिन भारतीयों की स्वतंत्रता की इच्छा को भी मजबूत कर दिया. 1857 का विद्रोह भारत के स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत थी, जो अंततः 1947 में भारत के स्वतंत्रता के रूप में परिणत हुआ.
2. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) की स्थापना 28 दिसंबर 1885 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुई थी. इसकी स्थापना एलेन ओक्टेवियन ह्यूम ने की थी, जो एक ब्रिटिश वकील और समाज सुधारक थे. कांग्रेस का उद्देश्य भारत में ब्रिटिश शासन के अधीन भारतीयों के हितों का प्रतिनिधित्व करना था. कांग्रेस ने भारत में स्वशासन के लिए संघर्ष किया और अंततः 1947 में भारत को स्वतंत्रता दिलाई.
कांग्रेस के पहले अध्यक्ष दादाभाई नौरोजी थे. कांग्रेस के शुरुआती सदस्यों में शामिल थे:
* दादाभाई नौरोजी
* गोपाल कृष्ण गोखले
* रविंद्र नाथ टैगोर
* जवाहरलाल नेहरू
* महात्मा गांधी
कांग्रेस ने भारत में कई महत्वपूर्ण आंदोलन चलाए, जिनमें शामिल हैं:
* स्वराज आंदोलन
* सविनय अवज्ञा आंदोलन
* भारत छोड़ो आंदोलन
कांग्रेस ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. कांग्रेस आज भी भारत का सबसे बड़ा राजनीतिक दल है.
3. बंगाल का विभाजन भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी. यह विभाजन 16 अक्टूबर 1905 को भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन द्वारा किया गया था. विभाजन के तहत बंगाल को दो भागों में बांटा गया था: पूर्वी बंगाल और पश्चिमी बंगाल. पूर्वी बंगाल में मुस्लिम बहुमत था, जबकि पश्चिमी बंगाल में हिंदू बहुमत था.
विभाजन के कई कारण थे. इनमें शामिल थे:
* ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में मुस्लिम और हिंदू समुदायों के बीच मतभेद को बढ़ावा देना.
* भारत में मुस्लिम समुदाय को एकजुट करना और उन्हें ब्रिटिश सरकार का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित करना.
* भारत में ब्रिटिश सरकार के शासन को मजबूत करना.
विभाजन का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और अन्य भारतीय राष्ट्रवादी संगठनों ने कड़ा विरोध किया. उन्होंने विभाजन को भारत में अशांति और हिंसा को बढ़ावा देने वाला बताया. विभाजन के विरोध में कई आंदोलन हुए, जिनमें शामिल थे:
* स्वदेशी आंदोलन
* बहिष्कार आंदोलन
* स्वराज आंदोलन
विभाजन को 1911 में रद्द कर दिया गया था. हालांकि, यह विभाजन भारत में अशांति और हिंसा को बढ़ावा देने वाला रहा. यह विभाजन भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाया.
4. महात्मा गांधी जी का भारत आगमन 9 जनवरी 1915 को हुआ था. वे दक्षिण अफ्रीका में 21 साल से रह रहे थे, जहां उन्होंने भारतीयों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया था. गांधी जी के भारत आगमन से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई गति मिली. उन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों पर आधारित आंदोलन चलाए, जिनसे भारतीयों में एकता और स्वतंत्रता की भावना बढ़ी. गांधी जी के प्रमुख आंदोलन इस प्रकार हैं:
* चम्पारण सत्याग्रह (1917)
* अहमदाबाद मिल हड़ताल (1918)
* असहयोग आंदोलन (1920-1922)
* सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-1934)
* भारत छोड़ो आंदोलन (1942)
गांधी जी के आंदोलन अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों पर आधारित थे. उन्होंने भारतीयों को अहिंसक तरीके से ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया. गांधी जी के आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए और अंततः 1947 में भारत को स्वतंत्रता दिलाई.
गांधी जी को भारत के राष्ट्रपिता के रूप में सम्मानित किया जाता है. वे अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों के प्रणेता थे. उन्होंने भारतीयों को अहिंसक तरीके से ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया और अंततः भारत को स्वतंत्रता दिलाई. गांधी जी का जीवन और कार्य दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है.
5.जलियांवाला बाग हत्याकांड भारत के पंजाब प्रांत के अमृतसर में 13 अप्रैल 1919 को ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समर्थकों पर किए गए नरसंहार था. इस नरसंहार में ब्रिटिश सेना ने जलियांवाला बाग में एकत्र हुए लगभग 5,000 लोगों पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं, जिसमें 400 से अधिक लोग मारे गए और 1,200 से अधिक लोग घायल हुए. यह घटना भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई और भारतीयों में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आक्रोश और विद्रोह की भावना को बढ़ावा दिया.
जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद ब्रिटिश सरकार को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा. इस घटना के बाद भारत में कई स्वतंत्रता आंदोलन शुरू हुए और अंततः 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिल गई.
जलियांवाला बाग हत्याकांड एक काला दिन था भारत के इतिहास में. यह घटना भारतीयों के लिए एक अत्यंत दुखद और पीड़ादायक अनुभव था. इस घटना ने भारतीयों में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एकजुटता और स्वतंत्रता की भावना को बढ़ावा दिया और अंततः भारत को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
6. खिलाफत आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 1919 से 1924 तक चलाया गया एक आंदोलन था. यह आंदोलन खिलाफत के समर्थन में चलाया गया था, जो इस्लाम के धार्मिक और राजनीतिक नेता का पद था. खिलाफत आंदोलन का नेतृत्व मोहम्मद अली और शौकत अली ने किया था.
खिलाफत आंदोलन का उद्देश्य खिलाफत के पद को पुनर्स्थापित करना और तुर्क साम्राज्य को ब्रिटिश साम्राज्य से मुक्त करना था. खिलाफत आंदोलन को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भी समर्थन दिया था.
खिलाफत आंदोलन का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान था. इस आंदोलन ने भारतीयों को एकजुट किया और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया. खिलाफत आंदोलन ने अंततः भारत को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
खिलाफत आंदोलन के कुछ प्रमुख परिणाम इस प्रकार हैं:
* भारतीयों में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एकजुटता और स्वतंत्रता की भावना बढ़ी.
* भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच एकता बढ़ी.
* भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई गति मिली.
* अंततः 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिल गई.
7. दिल्ली विधानसभा बम विस्फोट 8 अप्रैल, 1929 को दिल्ली, भारत में हुआ था. इस बम विस्फोट में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन यह ब्रिटिश सरकार के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक बड़े आंदोलन का हिस्सा था. बम को शहीद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने फेंका था, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दो प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे. बम विस्फोट के बाद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें बाद में फांसी दे दी गई.
8.असहयोग आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान चलाया गया एक प्रमुख आंदोलन था. यह आंदोलन 1 अगस्त 1920 को गांधी जी के नेतृत्व में शुरू हुआ था. असहयोग आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के खिलाफ अहिंसक तरीके से लड़ना और भारत को स्वतंत्रता दिलाना था.
असहयोग आंदोलन में भारतीयों ने ब्रिटिश सरकार के सभी अत्याचारों का विरोध किया. उन्होंने सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और अदालतों का बहिष्कार किया. उन्होंने स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग किया और ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार किया. उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन और हड़तालें भी कीं.
असहयोग आंदोलन ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया. इस आंदोलन ने भारतीयों को एकजुट किया और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया. असहयोग आंदोलन ने अंततः भारत को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
असहयोग आंदोलन के कुछ प्रमुख परिणाम इस प्रकार हैं:
* भारतीयों में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एकजुटता और स्वतंत्रता की भावना बढ़ी.
* भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को एक मजबूत राजनीतिक पार्टी के रूप में उभरने में मदद मिली.
* भारत में स्वदेशी उद्योगों को बढ़ावा मिला.
* भारत के स्वतंत्रता संग्राम को नई गति मिली.
* अंततः 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिल गई.
9. चौरी चौरा हत्याकांड भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 4 फरवरी 1922 को गोरखपुर जिले के चौरी चौरा गांव में हुआ था. यह घटना भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के असहयोग आंदोलन के दौरान हुई थी. इस घटना में एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी गई थी, जिसमें 22 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया था.
10. आजाद हिंद फौज, जिसे भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय स्वतंत्रता सेना थी जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के सहयोग से बनाई गई थी. इस सेना का नेतृत्व नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने किया था. आजाद हिंद फौज का उद्देश्य भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त करना था.
आजाद हिंद फौज का गठन 1942 में जापान के टोक्यो में हुआ था. इस सेना में भारतीय युद्धबंदी, भारतीय नागरिक और जापानी प्रशिक्षित भारतीय शामिल थे. आजाद हिंद फौज ने 1943 में बर्मा में ब्रिटिश सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी. इस सेना ने कुछ सफलताएं भी प्राप्त कीं, लेकिन अंततः 1945 में मित्र देशों की सेना द्वारा पराजित हो गई.
आजाद हिंद फौज ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया. इस सेना ने भारतीयों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया और अंततः भारत को स्वतंत्रता दिलाने में मदद की. आजाद हिंद फौज के सैनिकों को आज भी भारत में सम्मान और श्रद्धा के साथ याद किया जाता है.
11.भारत छोड़ो आंदोलन, या भारत छोड़ो आन्दोलन, भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 8 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस समिति द्वारा शुरू किया गया एक जन आंदोलन था. इस आंदोलन का उद्देश्य भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करना था.
भारत छोड़ो आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के बंबई सत्र में शुरू किया गया था. गांधीजी ने अपने भाषण में "करो या मरो" का नारा दिया, जिसे बाद में भारत के स्वतंत्रता संग्राम का सबसे प्रसिद्ध नारा बन गया.
भारत छोड़ो आंदोलन में भारतीयों ने ब्रिटिश सरकार के सभी अत्याचारों का विरोध किया. उन्होंने सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और अदालतों का बहिष्कार किया. उन्होंने स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग किया और ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार किया. उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन और हड़तालें भी कीं.
भारत छोड़ो आंदोलन को ब्रिटिश सरकार ने कठोरता से दबा दिया. हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया और उन पर मुकदमा चलाया गया. कई लोगों को फांसी भी दी गई.
हालांकि भारत छोड़ो आंदोलन को ब्रिटिश सरकार ने दबा दिया, लेकिन इस आंदोलन ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया. इस आंदोलन ने भारतीयों को एकजुट किया और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया. भारत छोड़ो आंदोलन ने अंततः भारत को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
भारत छोड़ो आंदोलन के कुछ प्रमुख परिणाम इस प्रकार हैं:
* भारतीयों में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एकजुटता और स्वतंत्रता की भावना बढ़ी.
* भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को एक मजबूत राजनीतिक पार्टी के रूप में उभरने में मदद मिली.
* भारत में स्वदेशी उद्योगों को बढ़ावा मिला.
* भारत के स्वतंत्रता संग्राम को नई गति मिली.
* अंततः 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिल गई.