Criminal conspiracy ( आपराधिक षड्यंत्र ) under Indian penal code// IPC -1860 // Law of crime//

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 आपराधिक षड्यंत्र क्या है? भारतीय दंड संहिता में आपराधिक षड्यंत्र संबंधित दंड के प्रावधान का उल्लेख कीजिए??


प्रस्तावना 'जब दो या दो से अधिक व्यक्ति किसी अवैध कार्य या किवी वैध कार्य को अवैध तरीके से करने या करवाने को सहमत होते है तो उसे 'आपराधिक षडयंत्र' कहते हैं। षडयंत्र का सामान्य अर्थ साजिरा, घोबा देने की योजना, दूरभिसानी, गुप्तरूप से की जाने वाली कार्रवाई मादि के रूप में लिया जाता है।

                            Credit:- Sudhir Sachdeva 

        

आपराधिक षडयंत्र को भारतीय दण्ड संहिता 1860 की आरा 120 क में परिभाषित किया गया है तथा उसके लिए दण्ड का प्रावधान भारतीय दण्ड संहिता की धारा 120 स में प्रावधानित किया गया है।


षड़यंत्र के अपराध का जावश्यक तत्व विधि का समझौता है आपराधिक षड्यंत्र में दो या दो से अधिक व्याक्तियों के बीच एक समझौता जिन पर षडयंत्र करने का आरोप है! यह कार्य अर्वेहधांया अवैध साहानों द्वारा देश कार्य करने या करवाने के लिए किया जाये।


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आपराधिक कृत्य में दो या अधिक व्याकी शामिल होने चाहिए यहाँ यह मावश्वक नहीं है कि अपतल करने के लिए सभी साजिशकर्ता एक-दूसरे को जानते हो।


आपराधिक षड्यंत्र के परिभाषा-


वा - भारतीय दण्ड संहिता १8८० की धारा 120 के में आपराधिक षड़यंत्र को परिभाषित किया गया है- जो इस प्रकार है


" जबकि दो या दो से अधिक व्यक्ति-


1. कोई अवैध कार्य, या


2. कोई ऐसा कार्य, जो अपराण नहीं है, अवैरा साधनों द्वारा, करने या करवाने को सहमत होते हैं, तब ऐसी सहमति 'आपराधिक षड्यंत्र' कहलाती है।"


परंतु किसी अपराध को करने की सहमति के सिवाय "कोई सहमति आपराधिक षडयंत्र तब तक न होगी, जब तक कि सहमति के अलावा कोई कार्य उसले अनुसरण उरा सहमति के एक या अधिक पक्षकारों द्वारा नहीं किया जाता ।" में


मात्र दो या दो से अधिक व्यक्तियों के आशय द्वारा षड़यंत्र गठित नहीं होता, अपितु इसके लिए दो या दो से अधिक त्याक्तियों के बीच कोई अवैध कार्य या अवैध साधनों द्वारा वैध कार्य को सेंकने के लिए सहमति होना आवश्यक है।


जबकि ऐसी परिकल्पना (Design) केवल आशय के रूप में रहती है, दण्डनीय नहीं हैती। किन्तु जैसे ही दो व्याक्ति उस परिकल्पना को कार्यान्वित करने को सहमत हो जाते हैं तो योजना छतवं अपने आप एक कार्य का रूप धारण कर लेती है।


आपराधिक षड़यंत्र के अवयत - आपराधिक षध्यत्र के निम्नालिखित जतात


(1) दो या दो से अधिक व्यक्तियों के चीच एक समझौता जिन पर षड़यंत्र करने का आरोप हो;


(2) समझौता


(क) कोई अलैध कार्य, या


(ख) कोई कार्य जो यसाप अवैश नहीं है, अवैध साधनों द्वारा, करने या करवाने के लिए किया जाये।


①. दो या अधिक व्यक्तिवों के बीच समझौता षडयंत्र के अपराध का आवश्यक तत्व 'विधि का उल्लंघन करने हेतु समझौता है। यदि वे अवैध कार्य को करने को सहमत होते है तो ते आपराधिक षड़‌यंत्र के दोषी होंगे भले ही किये जाने के लिए विनिखित अवैध कार्य कारित न हुआ हो।


जब तक कि परिकल्पना अप्रकट रहती है या केवल मारात गठित फरती है वह दण्डनीय नहीं है। किंतु जब दो या दो से अधिक व्याक्त उनकी परिकल्पना को कार्यान्वित करने के लिए सहमत हो जाते है तो षड़‌यंत्र (PSG) स्वयं एक कार्य होता है तथा पक्षकारों में से प्रत्येक का कार्य, प्रतिता के वयले प्रतिज्ञा, कृत्य के बदले कृता (Aclus Contra acha) दण्डनीय बन जाता है। यदि वह आपराधिक उद्देश्य अपता आपराधिक साधनों के लिए प्रयोग के लिए है।


② अवैध कार्य (Ilegal Act) - आपराधिक षड्यंत्र के अपराहा को गठित करने


के लिए समझौता निस्चितः विहिी विरुद्ध अथवा विसि द्वारा अधस्त


निष्द्धि कोई कार्य करने के लिए होना चाहिए। कोई समझौता या


सहमति यो अनैतिक है या लोकनीति के विरुद्ध है या व्यापार पर प्रतिबंध लगाता है। वा अनाथा उस प्रकृति का है कि न्यायालय इसे परिवर्तित नहीं करेगा, तो अवश्यक रूप से अवैहा नहीं होगा। चूंकि एक कार्य आपराधिक हुए बिना भी अवैध हो सकता है अतः यह कहा जा सकता है कि अवैध कार्य करने के लिए सहमति आपराधिक षड्यंत्र के तुल्य हो सकती है। यही वह उसी रूप में


दण्डनीव नहीं हो सकता ।


एक दूसरे व्यक्ति के साथ मिलकर कोई कार्य करने के लिए षड़यंत्र रचना एक अपराह्न हो सकता है किंतु अकेले किया जाये तो अपराध नहीं होगा।


अवैध साहानों द्वारा किसी कार्य को, भले ही वैद्य हो, अवैध


साधनों द्वारा करने की सहमति षड़यंत्र गठित करती है। कार्य का अन्त साधनों को न्यायोचित नहीं ठहराता। उदाहका के लिए प्रतिद्वन्दी व्यापारी को मात देना अवैध कार्य नहीं है परन्तु सस्ती वस्तुओं के विक्रेता को नष्ट करने के लिए एकीकृत होकर एक दीवालिया क्रेता को ऋण देने के लिए प्रोत्साहन देकर विक्रेता को हानि पहुंचाना अवैध होगा।

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यह लेख  लखनऊ यूनिवर्सिटी , लखनऊ से बी.ए एल.एल.बी कर रहे छात्र  Justin Marya द्वारा  कई वेबसाइट की मदद से लिखा गया है। 

This article has been written by Justin Marya, a student of BA LLB from Lucknow University, Lucknow with the help of various websites.

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