भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया है कि आधार कार्ड किसी भी सेवा या लाभ के लिए अनिवार्य नहीं है और किसी को भी आधार कार्ड न होने के कारण अपने वैधानिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता है।
सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय निम्नलिखित आधारों पर आधारित था:
* आधार अधिनियम किसी भी सेवा या लाभ के लिए इसे अनिवार्य नहीं बनाता है।
* आधार अधिनियम अन्य कानूनों को नहीं पलटता है जो मौलिक अधिकारों की गारंटी देते हैं, जैसे कि शिक्षा का अधिकार, स्वास्थ्य सेवा का अधिकार और सामाजिक सुरक्षा का अधिकार।
* आधार अधिनियम गोपनीयता के अधिकार का उल्लंघन करता है।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत नागरिक स्वतंत्रता समूहों द्वारा किया गया है, जिन्होंने लंबे समय से तर्क दिया है कि आधार कार्ड गोपनीयता और व्यक्तिगत अधिकारों के लिए खतरा है। निर्णय की आलोचना भी सरकार द्वारा की गई है, जिसने तर्क दिया है कि आधार कार्ड धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए आवश्यक है।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बावजूद, अभी भी कुछ सरकारी एजेंसियां और निजी व्यवसाय हैं जो आधार कार्ड को सेवाओं और लाभों के लिए अनिवार्य कर रहे हैं। यदि आपको आधार कार्ड नहीं होने के कारण किसी सेवा या लाभ से वंचित किया जाता है, तो आप यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) या राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
यहां कुछ वैधानिक अधिकार दिए गए हैं जिन्हें किसी नागरिक को आधार कार्ड न होने के कारण वंचित नहीं किया जा सकता है:
* मतदान का अधिकार
* शिक्षा का अधिकार
* स्वास्थ्य सेवा का अधिकार
* सामाजिक सुरक्षा लाभों का अधिकार
* बैंक खाता खोलने का अधिकार
* मोबाइल फोन खरीदने का अधिकार
* हवाई या ट्रेन से यात्रा करने का अधिकार
यदि आपको इनमें से किसी भी अधिकार से आधार कार्ड न होने के कारण वंचित किया जाता है, तो आप संबंधित अधिकारियों से शिकायत कर सकते हैं।
I hope this is helpful!